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लेखनी कहानी -15-Jan-2024 कविता

*नज़रों से दूर हो गए*

उल्फ़त की तुझसे हुस्न-ए शुरुर हो गये,
हम दीवाने तेरी नज़रों से दूर हो गए ।

तूने किये थे वादे सब चुर हो गये ।
दिल तोड़ के मेरा तुम दूर हो गये ।

फासला बहुत पास आ के देख लिया,
उल्फ़त के नशे ने हम चुर हो गये ।

हमने तुम्हें जब पलकों पे बैठाया,
अँखियों से बहते अश्क़ अब नूर हो गये ।

रुख़सार तेरे भाने लगे गुलाबी,
लबो से पिया हम नशे में चूर हो गये ।

      *के,के,कौशल*,
   इन्दौर, मध्यप्रदेश

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5 Comments

Gunjan Kamal

21-Jan-2024 09:25 PM

👏👌

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Rupesh Kumar

21-Jan-2024 05:39 PM

Nice one

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Alka jain

17-Jan-2024 05:58 PM

Nice

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